December 20, 2010

माँ है रेशम के कारखाने में

मां है रेशम के कारखाने में 
बाप मसरूफ सूती मिल में है 
कोख से मां की जब से निकला है 
बच्चा खोली के काले दिल में है 
जब यहाँ से निकल के जाएगा 
कारखानों के काम आयेगा 
अपने मजबूर पेट की खातिर 
भूक सर्माये की बढ़ाएगा 
हाथ सोने के फूल उगलेंगे 
जिस्म चांदी का धन लुटाएगा 
खिड़कियाँ होंगी बैंक की रोशन 
खून इसका दिए जलायेगा 
यह जो नन्हा है भोला भाला है 
खूनीं सर्माये का निवाला है 
पूछती है यह इसकी खामोशी 
कोई मुझको बचाने वाला है!

[सरमायेदार =capitalists] 

 अली सरदार जाफरी

1 comment:

smwatsuspected said...

very true.............