December 30, 2010

दुःख फ़साना नहीं के तुझ से कहें

दुःख फ़साना नहीं के तुझ से कहें
दिल भी माना नहीं के तुझ से कहें

आज तक अपनी बेकली का सबब
खुद भी जाना नहीं के तुझ से कहें

एक तू हर्फ़ आशना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझ से कहें

बे -तरह दिल है और तुझ से
दोस्ताना नहीं के तुझ से कहें

खुदा दर्द - -दिल है बख्शीश - -दोस्त
आब - -दाना नहीं के तुझ से कहें

अहमद फ़राज़

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