दुःख फ़साना नहीं के तुझ से कहें
दिल भी माना नहीं के तुझ से कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
खुद भी जाना नहीं के तुझ से कहें
एक तू हर्फ़ आशना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझ से कहें
बे -तरह दिल है और तुझ से
दोस्ताना नहीं के तुझ से कहें
ऐ खुदा दर्द -ऐ -दिल है बख्शीश -ऐ -दोस्त
आब -ओ -दाना नहीं के तुझ से कहें
अहमद फ़राज़
दिल भी माना नहीं के तुझ से कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
खुद भी जाना नहीं के तुझ से कहें
एक तू हर्फ़ आशना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझ से कहें
बे -तरह दिल है और तुझ से
दोस्ताना नहीं के तुझ से कहें
ऐ खुदा दर्द -ऐ -दिल है बख्शीश -ऐ -दोस्त
आब -ओ -दाना नहीं के तुझ से कहें
अहमद फ़राज़
No comments:
Post a Comment