शे़र और ग़जलें
December 26, 2010
किसे आवाज दूँ
किसको
आती
है
मसीहाई
किसे
आवाज
दूँ
बोल
ए
खूंखार
तन्हाई
किसे
आवाज
दूँ
चुप
रहूँ
तो
हर
नफ़स
ड्सता
है
नागन
की
तरह
आह
भरने
में
है
रुसवाई
किसे
आवाज
दूँ
उफ़
खामोशी
की
ये
आहें
दिल
को
भरमाती
हुई
उफ़
ये
सन्नाटे
की
शहनाई
किसे
आवाज
दूँ
जोश मलीहाबादी
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