शे़र और ग़जलें
May 21, 2008
आदतन
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहों में बारहा रूककर
हमने अपना ही इंतज़ार किया
अब ना मांगेंगे ज़िंदगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
गुलज़ार
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment