May 20, 2008

ना जाना आज तक

ना जाना आज तक क्या शै खुशी है
हमारी जिंदगी भी जिंदगी है

तेरे गम से शिकायत सी रही है
मुझे सचमुच बड़ी शर्मिंदगी है

मोहब्बत में कभी सोचा है यूं भी
कि तुझसे दोस्ती या दुश्मनी है

कोई दम का हूँ मेहमान मुंह ना फेरो
अभी आंखों में कुछ कुछ रोशनी है

ज़माना ज़ुल्म मुझ पर कर रहा है
तुम ऐसा कर सको तो बात भी है

झलक मासूमियों में शोखियों की
बहुत रंगीन तेरी सादगी है

इसे सुन लो सबब इसका ना पुछो
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई है

सुना है इक नगर है आँसुओं का
उसी का दूसरा नाम आँख भी है

वही तेरी मोहब्बत की कहानी
जो कुछ भूली हुई कुछ याद भी है

तुम्हारा ज़िक्र आया इत्तेफा़कन
ना बिगङो बात पर बात आ गयी है

फ़िराक गोरखपुरी

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