March 5, 2008

खामोशी

हश्र के दिन मेरी चुप का माजरा,
कुछ कुछ तुम से भी पूछा जाएगा।

हफीज जालंधरी

क्या क्यामत है शब--वस्ल खामोशी उसकी,
जिसकी तस्वीर को भी नाज है गोयाई* का।

गोयाई = बोलने का

रियाज़ खैराबादी

इफ्शां--राज*, शाने-वफ़ा, इमि्तहाने-सब्र**,
आज एक खामोशी ने बड़े हक़ अदा किये।

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रहस्य बताना,
**= धर्य का इम्तिहान

आरजू लखनवी

हश्र भी गुजरा , हश्र में भी ये सोच के हमने कुछ कहा,
गम की हिकायत* कौन सुनेगा,गम की हिकायत क्या कहिये

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कहानी

फा़नी

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