March 7, 2008

कुछ और मिजाज

कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूं के आसार,
और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं।

मुशाफी

आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नही देखा।

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा।

बशीर बद्र

क्या कहें कैसे मरासम थे हमारे उसके,
वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला।

अहमद फराज


ऐ दोस्त हमने तर्क-ऐ-मोहब्बत के बावजूद,
महसूस की है तेरी जरूरत कभी-कभी।

नासिर काज़मी

आओ की कोई ख़ाब बुनें कल के वास्ते,
वरना ये रात आज के संगीन दौर की,
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे की जान-ओ-दिल ,
ता-उम्र फिर ना कोई हसीं खाब बुन सकें।

साहिर लुध्यानवी

मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर,
आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।

अख्तर शीरानी

गर जिंदगी में मिल गए फिर इत्तफाक से,
पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम।

साहिर लुध्यानवी


तुम ने किया ना याद कभी भूल कर हमें,
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया।

बहादुर शाह ज़फर

पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी ज़रुरी है संभलने के लिये।

वामिक जौनपुरी

No comments: