काश मे प्रकाश पाया, एक नया आकाश पाया, आदमी ही आदमी को, अंतत: पह्चान पाया।
--मन्सूर अली हाशमी
(स्वस्थ सोच,मन को निरोग करने वाली, यही तो होम्योपेथ है। मै अंग्रेज़ी दवा विक्रेता, होम्योपेथ का प्रशंसक हूँ, अनेक पेचीदा केस मे इस पेथी से फ़ायदा मिला है…आपसे ज़रूर शेअर करना चाहूंगा।) http://hashimiyaat.mywebdunia.com/channels/blog/
2 comments:
बहुत अच्छे दादा ..
कभी हमारे ब्लॉग पे भी नज़रे -इनायत कर लिया करो भाई
नहीं तो अपनी ब्लॉग लिस्ट मे तो हमे शामिल करो यार ....
साशक्त कविता रही भाई
काश्…
काश मे प्रकाश पाया,
एक नया आकाश पाया,
आदमी ही आदमी को,
अंतत: पह्चान पाया।
--मन्सूर अली हाशमी
(स्वस्थ सोच,मन को निरोग करने वाली, यही तो होम्योपेथ है। मै अंग्रेज़ी
दवा विक्रेता, होम्योपेथ का प्रशंसक हूँ, अनेक पेचीदा केस मे इस पेथी
से फ़ायदा मिला है…आपसे ज़रूर शेअर करना चाहूंगा।)
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