August 27, 2008

आंसू - गुरमीत बराङ

आंखों में पानी देख
कहीं तुम्हे
रोने का भ्रम ना हो जाए

तुम नहीं जानते
कि
रोते हुए , आंसू
बाहर नहीं
अन्दर गिरते हैं

गुरमीत बराङ
( पंजाबी कवि)

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