आओ कोई ग़ज़ल लिखें, कुछ दिल की बात करें,
कुछ कहें जमाने की, कुछ इश्क की बात करें।
लम्हा-ए-फुरकत का कुछ हिसाब देखें,
बीते दिनों के कुछ जज्बात की बात करें।
हालात जुदा हैं बहुत ,जज्बात की बातों से,
जज्ब करें सच को, हालात की बात करें।
खाबों को दरकिनार करें, सपनों से परे देखें,
सचाई के दलदल में ,औकात की बात करें।
जज्बात के वो किस्से, अंजाम नहीं पहुंचे,
किस उम्मीद से फ़िर, आगाज की बात करें।
ताबूत दफन करें ,अपनी नाकामियों के,
फ़िर से जलायें दिए, गुलाल की बात करें।
जब भी करें ,करें राज दिलों पे हम ,
क्यूँ सोचें दुनिया फतह की ,क्यूँ ताज की बात करें।
आओ मिलें गले और भुला दे रंजिशें सभी ,
ना हिंदू की करें बात, ना मुसलमां की बात करें।
दिल की ये मुश्किल है, ये कल को नहीं भुलाता,
अक्ल ये कहती है, कि आज की बात करें ।
अरमानों का दरिया था , अश्कों में बहता था,
उम्मीद के सहरा में उसी बरसात की बात करें।
डा राजीव
डा रविन्द्र सिंह मान