किस-किस तरह से मुझ को ना रुसवा किया गया
गैरों का नाम मेरे लहू से लिखा गया
निकला था मैं सदा-ए-जरस की तलाश में
भूले से ही सुकूत के सेहरा में आ गया
जरस = घंटी
सुकूत = शान्ति, चुप्पी
क्यों आज उस का ज़िक्र मुझे खुश ना कर सका
क्यों आज उस का नाम मेरा दिल दुखा गया
इस हादसे को सुन के करेगा यकीन कोई
सूरज को ए़क झोंका हवा का बुझा गया
अख़लाक़ मोहम्मद खान ‘शहरयार’
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