इस तरह खुश हूं किसी के वादा-ऐ-फर्दा पे मैं,
दर हकीक़त जैसे मुझ को ऐतबार आ ही गया ।
काम आख़िर जज्बा-ऐ-बेइख्तियार आ ही गया,
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया।
हाय ये हुस्न-ऐ-तसव्वुर का फरेब-ऐ-रंग-ओ-बू ,
मैं ने समझा जैसे वो जान-ऐ-बहार आ ही गया ।
जिगर मुरादाबादी
1 comment:
ਜਿਗਰ ਮੁਰਾਦਾਬੀ ਜੀ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨਾ ਸੁਖਦ ਲਗਿਆ.....!!
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