November 15, 2010

बर्बाद तमन्ना पे अताब और ज़्यादा


बर्बाद तमन्ना पे अताब और ज़्यादा
हाँ मेरी मोहब्बत का जबाव और ज्यादा


रोये ना अभी अहल-ए-नज़र हाल पे मेरे
होना है अभी मुझ को खराब और ज्यादा

आवारा-वा-मजनूं ही पे मौकूफ नहीं कुछ
मिलने हैं अभी मुझ को खिताब और ज्यादा

उठेंगे अभी और भी तूफ़ान मेरे दिल से
देखूंगा अभी इश्क के ख़्वाब और ज्यादा

टपकेगा लहू और मेरे दीदा-ए-तर से
धड़केगा दिल-ए-खानाखराब और ज्यादा

ए मुतरिब-ए-बेबाक कोई और भी नगमा
ए साकी -ए-फयाज शराब और ज्यादा



होगी मेरी बातों से उन्हें और भी हैरत
आयेगा उन्हें मुझसे हिजाब और ज़्यादा





मजाज़ लखनवी

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