November 28, 2010

इस तरह खुश हूं

इस तरह खुश हूं किसी के वादा-ऐ-फर्दा पे मैं,
दर हकीक़त जैसे मुझ को ऐतबार आ ही गया ।

काम आख़िर जज्बा-ऐ-बेइख्तियार आ ही गया,
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया।

हाय ये हुस्न-ऐ-तसव्वुर का फरेब-ऐ-रंग-ओ-बू ,
मैं ने समझा जैसे वो जान-ऐ-बहार आ ही गया ।

जिगर मुरादाबादी

1 comment:

हरकीरत ' हीर' said...

ਜਿਗਰ ਮੁਰਾਦਾਬੀ ਜੀ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨਾ ਸੁਖਦ ਲਗਿਆ.....!!