शे़र और ग़जलें
April 7, 2008
खुशकिस्मत लोग
वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते-जी मसरूफ रहे
कुछ इश्क किया कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आख़िर तंग आ कर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
फैज अहमद फैज
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment