April 23, 2008

अपने खाबों में

अपने ख्वाबों में तुझे जिस ने भी देखा होगा ,
आँख खुलते ही तुझे ढूंढने निकला होगा।

जिंदगी सिर्फ़ तेरे नाम से मनसूब रहे,
जाने कितने ही दिमागों ने ये सोचा होगा।

दोस्त हम उस को ही पैगाम ऐ करम समझेंगे,
तेरी फुरकत का जो जलता हुआ लम्हा होगा।

दामन -ऐ - जीस्त में कुछ भी नही है बाक़ी,
मौत आई तो यकीनन उसको धोका होगा।

रौशनी जी से उतर आई लहू में मेरे,
ए मसीहा वो मेरा ज़ख्म-ऐ- तमन्ना होगा।

दाना

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