शे़र और ग़जलें
August 8, 2011
प्रेम
प्रेम मेरा दूसरा वतन है
मेरा असली वतन
वह नहीं जिसपर मुझे गर्व है
बल्कि वह जो मुझे तकलीफ़ देता है
रोक डाल्टन
1 comment:
nimish
said...
nice
August 15, 2011 at 8:52 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
nice
Post a Comment